रविवार, 6 जनवरी 2013

जहां हक मांगने पर मिलती है जेल

      जहाँ हक़ मांगने पे मिलती है जेल --सिंगरौली 


                       वतन की फ्रिक कर नादानए मुसीबत आने वाली है
                      तेरी बरबादियों के मशविरे  है आसमानों में
                    न समझोगें तो मिट जाओगें ऐ.हिंदोस्ता वालो
                      तुम्हारी दास्तां तक न होगी दास्तानों में ।।

 लखनसिंह भदौरिया     
 मो, 9407236160
 भोपाल    
                                         

       विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकतंत्रिक अधिकारों का कितनी सहजता और चालाकी से दमन किया जाता है इसकी बानगी अगर देखना है तो एक बार सिंगरौली जिलें में आप को अवश्य  ही जाना चाहिए।
 

 भोपाल / हमारें फेडरेश न के साथी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष संजय नामदेव पर लगायें गए विभित्र आरोपों की हकीकत जाननें के लिए नेतृत्वकारी साथियों की एक टीम जिसमें सत्यम पांडेय अध्यक्ष जबलपुरए एडण् राजेंद्र गुप्ता जबलपुरए श्रवण श्रीवास्तव पत्रकार रीवा मनोहर मिरोटा एवं सुनील कुशवाहा गुना ने सिंगरौली जिलें के ग्राम बरगॅवा एवं बैढ़न स्थित क्लेक्ट्रेट कार्यालय का भ्रमण किया । इस दौरान कलेक्टर से बातचीत कर श्रम कानूनों का उल्लघ्न एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा करनें हेतु एक ज्ञापन कलेक्टर महोदय पी नरहरि को सौंपा गया साथ ही उपजेल पचैर में नजरबंद पत्रकार साथी संजय नामदेव से मुलाकात का आवेदन भी दिया। इसे जिला प्रशासन की तानाशाही माना जायें अथवा कलेक्टर की हठधर्मिता की दिनांक 28/02/2011 को आवेदन देने के बाद भी जिला प्रसाशनिक  ने संजय नामदेव से मुलाकात करने  की 2 दिन तक अनुमति नहीं दी। जो  कि संविधान द्वारा प्रदत्त सीधे .सीधे हमारें लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। और ऐसा उस प्रशासन  ने किया जिसकी जबावदारी लोकतंत्र की कार्यप्रणाली एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा करना है ।

हमारी टीम ने दिनांक 28/02/2011 की शाम  लगभग 7 बजे बरगॅवा स्थित हिंडाल्कों महान एल्युमिनियम एवं पावर प्लांट के मजदूरों से पूरे घटनाक्रम को जानने के लिए चर्चा की। चर्चा के दौरान मजदूरों ने बताया किए  जिला प्रशासन की प्रबंधकों से सांठगांठ के चलते श्रम कानूनों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है  उन्हें निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती है और बिना किसी कारण के मजदूरों को बाहर निकाल दिया जाता हैं मजदूरों पर होने वाले इस जुल्म के खिलाफ जबसे संजय नामदेव और उनके साथियों ने ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन बनाकर प्रशासन  उदासीनता के विरुध्द आवाज उठाना शुरू  किया तभी से प्रशासन  की कंपनी प्रबंधकों की आंख की किरकिरी बन गया। पुलिस एवं जिला प्रशासन  ने अपने तमाम अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए संजय नामदेव एवं उनके साथियों पर धड़ाधड फर्जी मुकद्दमें बनाकर जेल में ठूंस दिया । हिंडाल्कों प्रबंधन के सिक्योरिटी गार्ड व थाना प्रभारी की अनुसंशा  पर संजय नामदेव  एवं लगभग 2000 मजदूरों पर हत्या का प्रयासए आगजनीए बलवा आदि की विभिन्न गंभीर धाराओं  307ए 147ए 148ए 149ए 249ए 506ए 452ए 427ए 435ए 186ए 353ए 332ए 109ए 114ए के तहत मामलें दर्ज कर दिये गएए बिना किसी मेडिकल रिपोर्ट के ।

बहरहालए जैसे.तैसे 10 फरवरी 11 को  जिला न्यायालय द्वारा संजय नामदेव की जमानत को  मंजूर कर लिया गया किंतु इससे पहले कि नामदेव को जेल से रिहा किया जाताए जिला कलेक्टर के आदेश  पर उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम  1980 की धारा.3;2द्ध के तहत् कार्यवाही कर दी। जिला कलेक्टर ने जिस आधार पर रासुका की कार्यवाही की है उसको पहले ही जिला न्यायालय द्वारा अपूर्ण पाकर जमानत स्वीकार की है।

                     यह हास्यास्पद है कि कलेक्टर ने पत्रकार साथी संजय नामदेव को आदतन अपराधी बताया है । लोकहित और कंपनी हित का ध्यान रखते हुये गृहसचिवए मध्यप्रदे प्रशासन  को आरोप पत्र भेजा हैं। जबकिए जिला कलेक्टर की अगुवाई में कंपनी प्रबंधको द्वारा मजदूरों का निर्बाध गति से शोसड  किया जा रहा था। अब अपराधी कौन है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

     गौरतलब है किए  दिनाक 3 जनवरी 11 को सिंगरौली जिलें के ग्राम बरगॅवा स्थित हिंडाल्कों महान पावर एवं एल्युमिनियम परियोजना में कार्यरत् एक कर्मचारी की लापरवाही से ब्लास्टिंग के दौरान मृत्यु हो गई थी मजदूरों ने आक्रोश प्रबंधन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन  भी किया। जिला प्रशासन  ने 2000 मजदूरों पर बरगॅवा थाने में अपराध क्रमांक 5@11 पंजीबद्ध कर धारा 307ए 147ए 148ए 149ए 249ए 506ए 452ए 427ए 435ए 186ए 353ए 332ए 109ए 114ए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था अब इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि दो हजार मजदूर पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जावें। दो हजार मजदूर अगर आवेश  में हो तो वे किसी की हत्या का प्रयास नहीं करतें बल्कि विध्वंस कर सकतें है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ । मजदूरो  ने बताया कि ब्लास्टिंग निर्धारित समय से पूर्व लगभग 1:30 बजें की गई थी जो कि दोपहर के भोजन का समय होता हैं। इसके विरोध में मजदूरों ने प्रदर्शन  किया।

दिनांक 4 जनवरी को संजय नामदेव ने स्वयं पर लगे आरोपों को हटाने के लिए जिला स्तरीय कलेक्टर जनसुनवाई में आवेदन दिया किंतु नतीजा ढाक के तीन पात।

                               हिंडाल्को कारखाने के लार्सन एंड टूर्बो प्लांट में कार्यरत् मजदूरों को कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया था और बिना किसी कारण के 82 मजदूरों को भी प्रबंधन ने निकाल दिया था प्रबंधन की इस मजदूर विरोधी कार्यवाही पर ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन के साथ फेडरेशन के कार्यकर्ता मजदूरों के हक में लगातार आंदोलन कर रहे थे। प्रबंधन उनकी मांगो के आगे झुका और मजदूरों को वापस काम पर रख लिया गया। पुलिस प्रशासन  ने हिंडाल्कों प्रबंधन से सांठगांठ करके गणतंत्र दिवस के पूर्व दिवस अर्थात् दिनांक 25/01/2011 को ।प्ल्थ् के नेताओ पर दमनात्मक कार्यवाही की। जैसे ही संजय नामदेव को गिरफ्तार किया गयाए प्रबंधन ने तत्काल ही उन 82 मजदूरों को पुनः निकाल दिया। पत्रकार साथी एवं प्रदेश  उपाध्यक्ष संजय नामदेव पर पिछले 6 माह के अंदर यकायक मुकद्दमें लगा दिये गए और पुलिस प्रशासन  ने जबरन ही यूनियन कार्यालय के झंडे बोर्ड को जब्त कर लिया। जबकि संजय नामदेव एक बेहद ईमानदारए साफ चरित्रए मेहनतक’     जनता के अधिकारों की बात करने वाले नेता है। शायद  इसी की सजा इस भ्रष्ट व्यवस्था ने उन्हें दी है इतना ही नही जिला पुलिस अधीक्षक सिंगरौली के इशारे पर ऊर्चांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन के सचिव राजकुमार सिंह पर फर्जी तरीके से धारा 110 एवं 151 लगाकर उन्हें एक वर्ष के लिए जिला बदर कर दिया गया जबकि पिछले वर्ष के पूर्व किसी भी प्रकार के मामले दर्ज नहीं थे।


                यह दुर्भाग्य ही है किए जिस प्रशासन  के कंधो पर मजदूरों को उनका हक दिलानें एवं श्रम कानूनों का पालन कराने की जिम्मेदारी होती है और लोकसेवक होने के नाते लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने व कराने की जबावदेही होती है उनके द्वारा ही सिंगरौली में संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। यह नागरिक अधिकारों का दमन तो है हीए साथ में लोकसेवको द्वारा सेवा एवं देश  भक्ति के नाम परए लोकतंत्र के चैथे सबसे महत्तवपूर्ण अंग पत्रकारिता पर भी हमला है जिसका विरोध समूचें पत्रकार जगत को करना चाहिए।            

              मध्यप्रदेश  सरकार सुशासन का चाहे जितना भी ढोल पीटती रहें किंतु प्रशासन  की कारगुजारियों से साफ जाहिर है धन रुपी भगवान के आगे  लोकतंत्र एवं संविधान को धता बता दिया जायेगा। और प्रदेश  के मुखिया गण इसी तरह ‘‘स्वर्णिम मध्यप्रदेश  के नारें लगातें हूए लोक अर्थात् जनता से ‘‘आओं बनाये अपना मध्यप्रदेश  का आह्वान करतें रहेगें।

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